
श्री खाटू श्याम जी का बाल्यकाल में नाम बर्बरीक था। उनकी माता, गुरुजन एवं रिश्तेदार उन्हें इसी नाम से जानते थे। श्याम नाम उन्हें कृष्ण ने दिया था। इनका यह नाम इनके घुंघराले बाल होने के कारण पड़ा।
कैसे बने बर्बरीक खाटूश्याम जी ?[संपादित करें]
इनकी कहानी मध्य कालीन महाभारत से शुरू होती है । खाटूश्याम जी पहले बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे वे अतिबलशाली भीम के पुत्र घटोट्कच और प्रागज्योतिषपुर (वर्तमान आसाम) के राजा दैत्यराज मूर की पुत्री कामकटंककटा “मोरवी” के पुत्र थे खाटूश्याम जी । खाटू श्याम जी बाल अवस्था से बहुत बलशाली और वीर थे उन्होंने युद्ध कला अपनी माता मोरवी तथा भगवान् कृष्ण से सीखी । उन्होंने नव दुर्गा की आराधना करके नव दुर्गा से तीन अनोखे बाण प्राप्त किये थे ।
इस तरह उन्हें तीन बाण धारी के नाम से जाना जाने लगा । अग्नि देव ने प्रसन्न होकर उन्हें धनुष प्रदान किये जो उन्हें तीनो लोको में विजय दिला सकता था जब महाभारत का युद्ध कोरवो और पांडवो के बिच चल रहा था जब यह बात बर्बरीक को पता चली तो उनकी भी इच्छा युद्ध करने की हुए । वे अपनी माता के पास गए और बोले मुझे भी महाभारत का युद्ध करना है तो उनकी माता बोली पुत्र तुम किसकी तरफ से युद्ध करोगे । तब उन्होंने बोला में हारे हुए की तरफ से युद्ध करुगा । जब वह युद्ध करने जा रहे थे उन्हें रास्ते में उन्हें एक श्री कृष्ण मिले । उन्होने पूछा तुम कहा जा रहे हो । तब बर्बरीक ने सारी बात बताई । श्री कृष्ण जी बोले कलयुग में लोग तुम्हे श्याम के नाम से जानेगे | क्युकी की तुम हारने वाले के साथ हो | क्युकी बर्बरीक का शीश खाटू नगर में दफनाया गया था इसलिए उन्हें खाटूश्याम जी कहते है
Read More Post :-
khatu shyam baba ji HD images
khatu shyam baba ji ki images
khatu shyam baba latest ringtone
khatu shyam baba latest videos