
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की (तर्ज़ :स्वरचित )
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की!!
बिन महर तेरे,क्या दर कोइ आ पाता
आने की क्या है बात,चल नहीं पाता..
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की!!
नहीं मीरा सी भक्ति,नहीं भाव सुदामा सा
नहीं करमा मैं कोइ,नहीं हूँ मैं नरसी सा..
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की!!
कब होगी महर तेरी,कब नज़र तुम्हारी श्याम
दे भक्ति भाव मुझमे,आऊं मैं दर तेरे धाम…
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की!!
क्या पाप किये मैंने,क्या भूल हुई है श्याम
पापी कितने तारे, ‘टीकम’ तो तेरा गुलाम..
दर तेरे आने की, दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की!
जय हो मेरे श्याम सांवरिया की